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मिथिला राज्य आंदोलन: नया राज्य बनेगा तो स्वाभाविक रूप से विकास के रास्ते खुलेंगे !

मिथिला राज्य के संदर्भ में मिथिला स्टूडेंट यूनियन (MSU) ने 21 अगस्त को दिल्ली में संसद घेराव आहूत किया है मिथिला राज्य के मुद्दे पर। इस मुद्दे पर हजारों मैथिल संसद घेराव करने जाएंगे। तब तक हरेक संडे या बीच- बीच में भी लगातार ट्विटर ट्रेंड होगा। इस ऊर्जा को बनाए रखना है। अबतक लगातार 2 रविवार को ट्विटर ट्रेंड बेहद सफल हुआ है, हम 21 अगस्त तक ट्विटर ट्रेंड के कड़ी को लगातार बनाए रखेंगे। उक्त बातें मिथिला स्टूडेंट यूनियन के पदाधिकारियों ने राजधानी पटना में आयोजित प्रेसवार्ता में कहीं है।

कई सप्ताह से मिथिला राज्य का मुद्दा कर रहा है ट्रेंड

उन्होंने बताया कि विगत चार सप्ताह से ट्विटर समेत तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर मिथिला राज्य का मुद्दा ट्रेंड कर रहा है। पहले #MithilaRajya, फिर #CreateMithilaRajya, #SeparateMithilaRajya हैशटैग ट्विटर पर लगातार तीन रविवार को ट्रेंड कर चुका है। मिथिला स्टूडेंट यूनियन (MSU) द्वारा संचालित इन ट्विटर ट्रेंड में देश विदेश से हजारों मैथिल भाग ले रहे हैं और ट्वीट्स की संख्या लाखों में पहुंच रही है।

मिथिला राज्य को लेकर 21 अगस्त दिल्ली में संसद घेराव का ऐलान

21 अगस्त से पहले 50 जगहों पर मिथिला राज्य के मुद्दे पर सेमिनार भी आयोजित किया जा रहा है। हमारा नारा है ” गांव गांव जाएंगे, जनता जगाएंगे, आवाज उठाएंगे, मिथिला राज्य बनाएंगे।” मिथिला के गांव-गांव में राज्य आंदोलन ले जाने, जनता जगाने के तरीकों एवम 21 अगस्त दिल्ली संसद घेराव आंदोलन पर चिंतन, मंथन हेतु विभिन्न प्रखंडों, जिलों में लगातार मीटिंग भी आयोजित की जा रही है। आंदोलन की तैयारी हेतु संगठन की दिल्ली टीम दिल्ली में लगातार जनसंपर्क कर रही है।

दिल्ली के विभिन्न मैथिल बाहुल्य इलाकों में लगातार छोटे छोटे मीटिंग के माध्यम से लोगों को जगाया जा रहा है, आंदोलन में लोगों को लाने का तरीका बनाया जा रहा है और अपने मुद्दों को समझाया जा रहा है। मिथिला राज्य की मांग बहुत पुराना है लेकिन आजतक इसपर संगठित प्रयास नहीं हो सका। इस बार MSU ने संगठित प्रयास शुरू किया है जिसमें जमीन से लेकर सोशल मीडिया एवम मीडिया स्तर पर भी लड़ाई लड़ी जा रही है।

मिथिला को सिर्फ जनसाधारण ट्रेन क्यों ?

बिहार का मिथिला क्षेत्र विकास के मामले में बहुत पिछड़ा इलाका है। अनूप मैथिल कहते हैं “यदि 6 करोड़ की जनसंख्या वाले गुजरात में IIT, NIT, IIM, IIIT, NIFT, सेंट्रल यूनिवर्सिटी आदि हो सकता है तो 6 करोड़ जनसंख्या वाले मिथिला में इनमें से एक भी क्यों नहीं है ? उनको क्यों बुलेट ट्रेन, हमको क्यों जनसाधारण ट्रेन ?

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बिहार के 17 सबसे गरीब और पिछड़े जिले मिथिला क्षेत्र में

नीति आयोग के रिपोर्ट में अभी हाल में जारी हुआ था की बिहार के 17 सबसे गरीब और पिछड़े जिले मिथिला क्षेत्र में है। GDP ग्रोथ के हिसाब से हो अथवा प्रति व्यक्ति आय, औद्योगिक उत्पादन की बात हो अथवा कृषि उत्पादन, शिक्षा दर हो अथवा ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स, शहरीकरण की बात हो या पलायन अथवा अन्य कोई भी वैकाशिक मापदंड।।।मिथिला क्षेत्र पूरे देश में सबसे पीछे है। बाढ़ जैसी आपदा झेलने वाला 6 करोड़ से अधिक जनसंख्या का यह क्षेत्र सिर्फ सस्ता मजदूर सप्लाई करने वाला लेबर जोन है देश के लिए। तो क्या देश की सरकार को इस क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए कोई विशेष प्रयास नहीं करना चहिए ? मिथिला के विकास के लिए आज तक स्पेशल पैकेज कभी नहीं मिला मिलेगा। अब हमें अपना राज्य चाहिए। हम एक अलग राज्य के रूप में हमेशा से रहे हैं। हमारी एक अलग भाषा, संस्कृति, भूगोल, इतिहास रहा है।”

12 करोड़ की जनसंख्या को एक प्रशासनिक यूनिट में संभालना उचित नहीं

“मिथिला राज्य” की मांग होते ही कई लोग हड़बड़ा जाते हैं। विभाजन एक भारी शब्द है। इस शब्द से कई इमोशनल स्मृतियां जुड़ी हुई है जिसकी वजह से अधिकांश लोग घबराहट महसूस करते हैं, ये एक साइकोलॉजिकल फेनोमेना है। झारखंड विभाजन के बाद बच गए शेष बिहारियों को बताया गया की झारखंड विभाजन की वजह से आपके सारे खनिज संसाधन चले गए हैं और यही आपके राज्य के गरीबी की वजह है, जबकि ये एक झूठ था जिसका इस्तेमाल राजनीतिक नेतृत्व ने अपने खामियों को छुपाने हेतु किया। विभाजन हमेशा गलत ही नहीं होता। कई बार इसके अच्छे परिणाम भी होते हैं।

जब 1912 में बंगाल से बिहार अलग हुआ था, तब भी तो विभाजन ही हुआ था। जब बाद में बंगाल से विभाजित हुए बिहार से उड़ीसा अलग हुआ, तब भी विभाजन ही था। लेकिन क्या ये सब जरूरी नहीं था। जिनके मन में झारखंड विभाजन का मनोवैज्ञानिक दंश जमा हुआ है उन्हें बिहार से विभाजित होकर अलग मिथिला राज्य की बात सुनने पर सेंसिटिव महसूस होता है। जबकि इसमें कुछ भी सेंसिटिव नहीं है। परिवार बड़ा होने के बाद संयुक्त परिवार में सभी सदस्यों पर ठीक से ध्यान देना नहीं हो पाता, सब की समस्याएं और जरूरतें अलग-अलग है, उन्हें एक ही नजर से देखने से नई समस्याएं उत्पन्न होती है। 12 करोड़ की जनसंख्या को अब एक प्रशासनिक यूनिट में संभालना दिक्कत बढ़ा रहा है। नया मिथिला राज्य बनाइए, जिलों की संख्या बढ़ाईए, नए प्रखंड बनाइए, सबका भला होगा।

नया राज्य बनेगा तो स्वाभाविक रूप से विकास होगा

नीतिश कुमार सरकार पिछले दस साल से बिहार राज्य को विशेष दर्जा की मांग कर रहे हैं, बिहार के पिछड़े होने की वजह से स्पेशल पैकेज की मांग करते हैं। लेकिन केंद्र ने कभी नहीं दिया। लेकिन जब नया मिथिला राज्य बनेगा तो संवैधानिक और नैतिक रूप से मजबूरी होगी केंद्र के लिए की नए गठित राज्य को स्पेशल पैकेज अथवा केंद्रीय सहायता दे। नया राज्य बनेगा तो स्वाभाविक रूप से नई राजधानी बसेगी। नए राजधानी में इन्फ्रास्ट्रक्चरल डेवलपमेंट होगा, भवन-सड़कें-संस्थान-रेल-मेट्रो आदि बनेगा, प्राइवेट इन्वेस्टमेंट आएगा, कंपनीज आएगी, लाखों की संख्या में नया रोजगार उत्पन्न होगा। नए राज्य के बनने से प्रशासनिक सुगमता हेतु नए जिले बनेंगे, नए प्रखंड नया थाना और अनुमंडल सब बनेगा। इनके बनने से ग्रामीण क्षेत्रों तक विकास की नई धारा बनेगी।

नई शुरुआत करनी होगी

नया राज्य बनेगा तो उसके हिस्से का IIT, IIM, NIT, IIIT, NIFT, सेंट्रल यूनिवर्सिटी, हाई कोर्ट मिलेगा, केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों एवं संस्थानों का ऑफिस मिलेगा। नई यूनिवर्सिटीज, नए अस्पताल स्थापित होंगे। जब आप नया राज्य बनाएंगे तो स्वभाविक है की नई शुरुआत करनी होगी। आप स्वाभाविक रूप से नए राजस्व एवं राजकीय आमदनी का साधन तलाशेंगे, नए मौके ढूंढेंगे। तब बाढ़ किसी राज्य के कुछ जिलों की समस्या नहीं रहेगी बल्कि आपके पूरे राज्य की समस्या रहेगी, स्वाभाविक रूप से राजनीतिक नेतृत्व बाढ़ के स्थाई समस्या पर काम करेगा।

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